गणतंत्र दिवस की आप सबको ढेरों बधाई!
भाई अभय की दो रचनायें इस गणतंत्र के जनों को सप्रेम भेंट की जा रही हैं।
तस्वीर ये बदलनी है आवाज़ करो.
हुंकार है, देश अब आज़ाद करो.
मालिक हैं मुख़्तार हैं
फिर भी क्यों लाचार हैं?
हमारी पीढ़ी में सबसे अधिक लम्बी कविताएँ सुधीर सक्सेना ने लिखीं - स्वप्निल श्रीवास्तव सुधीर सक्सेना का गद्य-पद्य उनके अनुभव की व्यापकता को व्...
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