Wednesday 13 February 2013

धरोहर

साहित्य एक विशाल सागर है जिसमें जितना डूबो उतना और गहरे जाने का मन होता है। इस विशाल सागर से कुछ मोती आपके सामने लिंक के रूप में प्रस्तुत हैं। आशा है आप आनंद उठाएंगे।
शुरूआत ऐसे रचनाकार से जो लिखते तो बहुत दिनों से हैं लेकिन गुपचुप। अभी कुछ दिनों पहले ही इन्होंने अपनी रचनायें सबके सामने लानी शुरू की हैं। ये हैं सण्डीला, हरदोई, उत्तर प्रदेश के रहने वाले मो आरिफ सण्डीलवी।

Urdu-Hindi Poetry: राम कहानी: वो चांद सी सूरत नामे-खुदा, वो उठती जवानी क्या कहिए दिल ले गयी बातों बातों में, ये ज़हर बयानी क्या कहिए कुछ हंस के कटी कुछ रो के...

मेरी धरोहर: छोड़ो मेरे दर्दे-ए-दिल की फिक्र तुम.........अधीर: यहॉ कब कौन किसका हुआ है , इंसान जरुरत से बंधा हुआ है । मेरे ख्वाबो मे ही आते है बस वो, पाना उसको सपना बना हुआ है। सुनो,पत्थर द...

खुद को पाना जरूर Khud ko pana jarur | Life is Just a Life

मेरी धरोहर: सुकूं बांकपन को तरसेगा...............................: एक निवेदनः कोई सामान घर में एक कागज में पेक करके लाया गया वह कागज मेरी नजर में आया, उसी कागज में ये ग़ज़ल छपी हुई थी, पर श...

उच्चारण: "ग़ज़ल-खो चुके सब कुछ" (डॉ,रूपचन्द्र सास्त्री...: खो चुके सब, कुछ   नहीं   अब, शेष खोने के लिए। कहाँ से लायें धरा , अब बीज बोने के लिए।। सिर्फ चुल्लू में सिमटकर , रह ग...

मेरी धरोहर: अदब से झुकने की तहज़ीब खानदान की है .............सच...: हवा जो नर्म है ,साज़िश ये आसमान की है वो जानता है परिंदे को ज़िद उड़ान की है............ मेरा वजूद ही करता है मुझसे ग़द्दारी नहीं तो उठने क...

|| आकाश के उस पार ||: फासला: क्या फरक कि मैं चला या तू चला है ,  बात है कि फासला कुछ कम हुआ है |  टूटने वाला हूँ मैं कुछ देर में ,  ये मेरी अपनी अकड़ का ही सिला है |  ...

4 comments:

  1. रोचक लिंक्स हैं सभी!

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  2. सुन्दर लिंक्स का संग्रह , 'अदब से झुकने की तहजीब खानदान की है' विशेष पसन्द आई |

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केदार के मुहल्ले में स्थित केदारसभगार में केदार सम्मान

हमारी पीढ़ी में सबसे अधिक लम्बी कविताएँ सुधीर सक्सेना ने लिखीं - स्वप्निल श्रीवास्तव  सुधीर सक्सेना का गद्य-पद्य उनके अनुभव की व्यापकता को व्...