Tuesday 30 April 2013

एक झलक

राम राम सुधी वृन्द!
आज शनिवार से पहले ही...
     दरअसल पिछले कई महीनों से लगातार आदरणीय श्री बृजेश जी की कविताएं/लेख/संकलन आदि कई जगह, जैसे उजेषा टाइम्स, बारिस-ए-अवध, पूर्वाभास आदि में पढ रही हूं। कई साहित्यिक प्रतियोगिताओं में भी आपने बाजी मारी। फिर इस ब्लाग और 'निर्झर टाइम्स' समाचार पत्र के साहित्य अंक के आप मुख्य एडमिन् हैं, यहां एक संकलन तो आपकी रचनाओं/परिचय का होना ही चाहिए ।
    'निर्झर टाइम्स' बिधूना से प्रकाशित एक समाचार पत्र है, जिसका पेज नं-5 साहित्य को समर्पित है। हुआ यूं दोस्तों कि आदरणीय बृजेश जी के समर्पण को देखते हुए 'निर्झर टाइम्स' के संपादक आदरणीय श्री एस.पी.सिंह सेंगर जी ने ब्लाग का दायित्व आपको ही सौंप दिया। फिर कुछ दिन पहले मैं भी इस ब्लाग से जुड़ी।
     एक प्रस्तुति आपको समर्पित- परिचय देने की आवश्यकता नहीं क्योंकि 'पूर्वाभास' के लिंक मे सब कुछ है ही, इसके अलावा इतना जरूर कहूंगी कि आपकी लेखनी हर विधा में चली, चाहे ग़जल हो या नवगीत, हाइकू हों या भारती छंद, अतुकांत कविता या गद्य लेखन/लधुकथा। गजल पर तो छोटा-मोटा शोध आपने तैयार किया है। अंग्रेजी कविताओं को भी आपकी पैनी कलम ने तराशा। समसामयिक विषय शायद ही कोई बचा हो जो आपकी रचनाओं से अछूता रहा हो।
      प्रस्तुत है एक झलक-
पूर्वाभास: बृजेश नीरज की तीन कविताएँ

Voice of Silent Majority: डमरू घनाक्षरी/ प्रणय: नियम:- ३२ वर्ण लघु बिना मात्रा के ८,८,८,८ पर यति प्रत्येक चरण में…… प्रणय पवन बह, रस मन बरसत बढ़त लहर जस, तन मन गद गद चम...

Voice of Silent Majority: घनाक्षरी: ओपन बुक्स ऑनलाइन, चित्र से काव्य तक छंदोत्सव, अंक-२५ में मेरी रचना (चित्र ओबीओ से साभार) चौड़ी नही छाती मेरी, हौसला तो...

Voice of Silent Majority: दोहे/ नारी: तन मन निर्मल कांच सा, काया रूप अनूप। तू ममता की खान है, तू दुर्गा का रूप।। माता बनकर पालती, पत्नी से परिवार। बहन प्रेम...

Voice of Silent Majority: मेरे साथ सुर मिलाओगे: तुम्हें मेरी बात समझ नहीं आती या तुम सुनना ही नहीं चाहते? शायद पसंद नहीं तुम्हें कोई बात करे फुटपाथ और खेत की चीथड़ों और भू...

Voice of Silent Majority: लघुकथा ­- चमेली:      मंच के सामने आठ दस लोग कुर्सियों पर बैठे थे। सफेद झक कुर्ता पायजामा पहने छरहरे बदन का एक युवक मंच पर खड़ा भ...

Voice of Silent Majority: गद्य काव्य/ अवसाद:       इस गर्मी की दुपहरिया में मैं निश्चल शान्त बैठा था। कमरे के बाहर जैसे आग बरस रही हो। चमड़ी को छीलती सी गरम ...

Voice of Silent Majority: गज़ल/ अनजान रहा अक्सर: दीदार का बस तेरे अरमान रहा अक्सर इस प्यार से तू मेरे अनजान रहा अक्सर बाजार में दुनिया के हर चीज तो मिलती ...

Voice of Silent Majority: हाइकू/ बसंत: सभी मित्रों को होली की हार्दिक शुभ कामनायें ……. 1 ऋतु बसंत उत्सव व उल्लास मन अनंत। 2 अबीर मला क्लेष की ...

Voice of Silent Majority: हिन्दी गजल-1:      आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में जहां अतुकान्त तथा छन्दमुक्त कविता ने अपना स्थान बनाया है वहीं छंदयुक्त कविता ने अ...

Voice of Silent Majority: क्षणिकाएं: कुम्हार रूप दे दो इधर उधर बिखरी हुई है ये मिट्टी रौंद रहे हैं लोग रंग काला पड़ने लगा कुछ कीड़े भी पनपने लगे इसे कोई र...

Voice of Silent Majority: मन: नित अनन्त अस्थिर मन क्या खोजा क्या पाया न समझा न समझाया कभी इधर की कभी उधर की दिग्भ्र...

Voice of Silent Majority: बुढ़ापा: तस्वीर कुछ बदरंग सी दिखने लगी है या चेहरा ही कुछ बेढंगा लगने लगा है जरिया कोई हो तो सूरत बदल ली जाए ...

Voice of Silent Majority: Grown Up ?: Sometimes it happens In the morning In the evening or any time Sometime When? Not fixed. When i am...

 इनके अलावा भी अनेक लोकप्रिय रचनाएं हैं जैसे-वक्त, क्लेष मिट गये, मित्र के नाम, हो गई है पीर पर्वत सी आदि...
नोट-यहां संकलित समस्त रचनाएं मेरे द्वार ही चयनित हैं, हो सकता इनसे भी गहन रचनाएं आपके ब्लाग Voice of silent mejority' पर हों, मेरी समझ उन रचनाओं तक न पहुंच पाई हो तो क्षमा करें।
ढेरों शुभकामनाओं के साथ मैं वन्दना।
सादर!

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