Saturday 18 May 2013

महानगर में यौवन आया

जयहिन्द स्नेही सुधीवृन्द... आज के अंक में आपका हृदयातल से स्वागत है। शुरुआत एक खुशखबर के साथ,वह यह कि आज याने 18/05/2013 से अपने शहर लखनऊ में ओ.बी.ओ.(open book online) की तरफ से एक साहित्यिक चैप्टर की शुरुआत होने जा रही है,जिसमें प्रबन्धन सहयोग आदरणीय श्री बृजेश सर का भी रहेगा। उद्धाटन स्वरूप एक साहित्यिक गोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। समय होने पर आदरणीय सर से सम्पर्क कर जरूर पधारें,महानगर में यौवन आया है-

नवगीत की ओर: महानगर में यौवन आया

गजोधर भाई, आप तो शराब नहीं पीते थे!/ जवाहर - Open Books Online

रूप-अरूप: मन की उलझन.......: अचानक थम जाए, चलती हवा और सांझ डूबने को हो तो लगता है  कि‍सी के बेवक्‍त चले जाने का मातम मना रही हो वादि‍यां.... * * * * *  फि‍र आया था ...

उच्चारण: "गांधी हम शरमिन्दा हैं" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री '...: असत्य की जीत  सत्य की हार  मची हुई है  चीख-पुकार  सूरज उगल रहा है  अन्धकार  चारों ओर है मारा-मार  सूरज है ठण्डा  चाँ...

ग़ज़ल - शिवाजी भी यहीं के हैं, नहीं क्यों याद आता है - Open Books Online

hum sab kabeer hain: ताज़ा गोश्त: पूरे पंद्रह सौ... सर ! ही.. ही.. ही.. ताज़ा गोश्त हैं ! आदिवासी लड़कियां हैं ! पैसे वसूल होंगे... सर ! घबराइये ना, पलामू से दिल्ली-...

ग़ज़ल : चोरी घोटाला और काली कमाई - Open Books Online

भयाक्रांत भविष्य से.... Voice of Silent Majority: मधुशाला: हर सांस यहां अटकी भटकी फिर भी प्यारी यह मधुशाला कितने जीवन बरबाद हुए आबाद रही पर मधुशाला साकी के नयनों से छलकी ...
मेरे मन की: लहरें: प्रवीण पाण्डेय जी का नाम खुद अपने आप में परिचय है उनका --- और उसी तरह उनके ब्लॉग का नाम- न दैन्यं न पलायनम भी .... प्रस्तुत है उनकी ... आज के अंक में इतना ही ,अगले सप्ताह फिर मुलाकात होगी दोस्तों। तब तक के लिए नमस्कार। स्नेह बनाए रखें। सादर

No comments:

Post a Comment

केदार के मुहल्ले में स्थित केदारसभगार में केदार सम्मान

हमारी पीढ़ी में सबसे अधिक लम्बी कविताएँ सुधीर सक्सेना ने लिखीं - स्वप्निल श्रीवास्तव  सुधीर सक्सेना का गद्य-पद्य उनके अनुभव की व्यापकता को व्...