Thursday 23 May 2013

ये कौन आता है तन्हाइयों में जाम लिए


           - मख़दूम मोहिउद्दीन
ये कौन आता है तन्हाइयों में जाम लिए
जिलों[1] में चाँदनी रातों का एहतमाम लिए

चटक रही है किसी याद की कली दिल में
नज़र में रक़्स- बहाराँ की सुबहो शाम लिए

हुजूमे बादा--गुल[2] में हुजूमे याराँ में
किसी निगाह ने झुक कर मेरे सलाम लिए

किसी क़्याल की ख़ुशबू किसी बदन की महक
दर--कफ़स पे खड़ी है सबा पयाम लिए

महक-महक के जगाती रही नसीम--सहर[3]
लबों पे यारे मसीहा नफ़स का नाम लिए

बजा रहा था कहीं दूर कोई शहनाई
उठा हूँ, आँखों में इक ख़्वाब- नातमाम[4] लिए
शब्दार्थ:
1.  परछाहीं, आभा
2.  मदिरा और फूलों के समूह
3.  सुबह की ख़ुशबू
4.  अधूरा स्वप्न



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