Saturday 4 May 2013

मुश्किल राहें...

शुभप्रभात् सुहृद मित्रों!
     सप्ताहान्त के संग्रह में आप सभी का हृदयातल से स्वागत है। इस बार 'मजदूर दिवस' नें साहित्य को खासी गति दी, लेकिन मजदूरों के अधिकार को कितनी गति मिली ये तो एक मजदूर ही बता सकता है, पर बेचारे को अपने अधिकारों की जानकारी हो तब न! एक दृश्य यहां साझा करने को मैं बाध्य हो रही हूं- विद्यालय में छात्रों के अभिभावकों के खाता सं. की आवश्यकता हुई सो मैनें खोता सं. लाने को कहा। तभी एक व्यक्ति आया, लाचार आँखे, कांपती आवाज पर चेहरे पर मुस्कान...बोला- ''हमारे पास कोई बैंक की किताब तउ हइ नाइ, मनरेगा वाली रहइ जो प्रधान देतइ नाइं।'' मैंने कहा आप वही ले आइए और उसे अपने पास रखिये ये आपका अधिकार है. बात काटते वो श्रीमान बोले-''अरे दीदी आप तउ यहे बतइहउ, कुछ रोपया परधान कबहूं कबहूं दइ देत हैं, उन्हहू से हाथ धोइ बैठी।'' अब बताइए वो अपने दूसरे अधिकारों को कितना समझते होंगे। आप खुद ही अंदाजा लगा लीजिए।
     पिछले दिनों सरबजीत जी की मृत्यु नें झकझोर कर रख दिया। लेकिन भारत की बेटियों का जज्बा कहते बनता है, जब उनसे पूंछा गया कि क्या चाहती हैं, तब सरबजीत की बेटियों ने मुक्त कण्ठ से कहा 'मुझे कुछ नहीं चाहिए, पाक में कैद भारतीयों के लिए कुछ करिये'।
     जीवन की राहें बड़ी मुश्किल है। आइए देखते हैं ये लिक्स क्या कहते हैं-

Voice of Silent Majority: मजदूर दिवस:      हर वर्ष 1 मई ‘मजदूर दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। देश और समाज के विकास में मजदूरों के योगदान पर चर्चा होती है, उन्हें लाल, पीला, न...

ज्ञान दर्पण : विविध विषयों का ब्लॉग: जब भ्रष्टाचार बनेगा गरीबी मिटाने का औजार

अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ): मजदूर दिवस – 1 मई पर...............: नहीं खुद को बसा पाये, सभी का घर बनाते हैं |   (चित्र गूगल से साभार) कुदाली - फावड़ा लेकर , सृजन के गीत गाते हैं नहीं है पास...

 उम्मीद तो हरी है .........: कहाँ खड़ा है आज का मजदूर------?: मजदूर दिवस पर-----   स्वतंत्र भारत के प्राकृतिक वातावरण में हम बेरोक टोक सांस ले         रहे हैं, पर एक वर्ग ऐसा है,...

SADA: पुराने नियम बदल डालो !!!!!!

नयी उड़ान : क्यूंकि यही तो जीवन है ... 

उन्नयन (UNNAYANA): सरबजीत तुमसे ----

"बस यूँ ही " .......अमित: " नापाक माटी में मौत एक पाक की .....": वरण किया था , तभी मृत्यु का , कैद हुआ था , जब परदेस ।  हाँ ! याद आया , और बहुत याद आया , तेरा साया कभी  , कभी बच्चों का ...

Voice of Silent Majority: हाइकू/ बचपन: 1 ये बचपन परी, तितली, कथा सुन्दर मन ! 2 कोमल काया न छल, न कपट दंभ न माया। 3 मां का आंचल प्यार और ...

मेरे सपनों की दुनिया: अजनबी...: अजनबी होना दूसरों के लिए,  शायद बचा लेता है हमें गुनाहगार साबित होने से, लेकिन होना अजनबी खुद ही से खड़ा कर देता है कई सारे ऐसे सवाल...

Sankalp's Pencil Strokes: Wild Dogईश्वर सरबजीत की बेटियों और परिवार शक्ति प्रदान करे। बस दोस्तों इसी के विदा चाहूंगी,फिर मिलते हैं... नमस्कार,शुभदिन सादर

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हमारी पीढ़ी में सबसे अधिक लम्बी कविताएँ सुधीर सक्सेना ने लिखीं - स्वप्निल श्रीवास्तव  सुधीर सक्सेना का गद्य-पद्य उनके अनुभव की व्यापकता को व्...