Saturday 29 June 2013

पिता

सभी मित्रों को नमस्कार!
आज के साप्ताहिक प्रसारण में प्रस्तुत हैं -
'गुजारिश' (http://guzarish6688.blogspot.in/) द्वारा पितृ दिवस पर आयोजित प्रतियोगिता में चयनित रचनायें।

(1)

  पिता

घिरा जब भी अँधेरों में सही रस्ता दिखाते हैं ।
बढ़ा कर हाँथ वो अपना मुसीबत से बचाते हैं ।।


बड़ों को मान नारी को सदा सम्मान ही देना ।

पिता जी प्रेम से शिक्षा भरी बातें सिखाते हैं ।।


दिखावा झूठ धोखा जुर्म से दूरी सदा रखना ।

बुराई की हकीकत से मुझे अवगत कराते हैं ।।


सफ़र काटों भरा हो पर नहीं थकना नहीं रुकना ।

बिछेंगे फूल क़दमों में अगर चलते ही जाते हैं ।।


ख़ुशी के वास्ते मेरी दुआ हरपल करें रब से ।

जरा सी मांग पर सर्वस्व वो अपना लुटाते हैं ।।


मुसीबत में फँसा हो गर कोई बढ़कर मदद करना ।

वही इंसान हैं इंसान के जो काम आते हैं ।।


                               - अरुण शर्मा 'अनन्त

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(2)

पिता 


चलते-चलते कभी न थकते,ऐसे होते पाँव!

पिता ही सभी को देते है,बरगद जैसी छाँव!! 


परिश्रम करते रहते दिनभर,कभी न थकता हाथ!

कोई नही दे सकता कभी, पापा जैसा साथ!!


बच्चो के सुख-दुःख की खातिर,दिन देखें न रात!

हरदम तैयार खड़ें रहते,देने को सौगात!!


पिता नही है जिनके पूछे,उनके दिल का हाल!

नयन भीग जाते है उनके,हो जाते बेहाल!!


हमारे बीच में नही पिता,तब आया है ज्ञान!  

हर पग पर आशीर्वाद मिले,चाहे हर संतान!!  


                                       - धीरेन्द्र सिंह भदौरिया

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(3)

  "बाबुल की दुआएं लेती जा -जा तुझको सुखी संसार मिले"
 "जिस द्वार पे जाए डोली उसी द्वार से निकले अर्थी "
 "मुझे चढ़ना है स्वर्ग की सीढियाँ 
इसलिये चाहिए कुलदीपक "
 आज का पिता 
नहीं कहता ये सब बातें। 
बेटा चिराग तो बेटी रौशनी 
बेटा सांस  तो बेटी ज़िन्दगी
बेटा मुस्कान तो बेटी है खुशी 
बेटा फूल तो बेटी कोमल- कली 
दोनों ही उसकी आँखों का तारा   
दोनों के कंधों का लेता है सहारा 
उसके बुढापे का दोनों हैं आसरा   


                                  - पुनीता सिंह 

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(4)

ऐ बाबुल बहुत याद आता है तू ...
छोड़ इस लोक को ऐ बाबुल
परलोक में अब रहता है तू
 कैसे बताऊं तुझको ऐ बाबुल
मेरे मन में अब बसता है तू
 बन गए हैं सब अपने पराये
न होकर कितना खलता है तू
 देख माँ की अब सूनी कलाई
आँखों से निर्झर बहता है तू
 पुकारे तुझको ‘मन’ साँझ सवेरे
मंदिर में दिया बन जलता है तू  
 ऐ बाबुल बहुत याद आता है तू....
ऐ बाबुल बहुत याद आता है तू..... !!

                               - सु..मन
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अब आज्ञा दीजिए!

नमस्कार!


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