Saturday 22 June 2013

ज़रूरत

सभी साथियों को मेरा नमस्कार!

आज बहुत दिनों बाद आपसे रूबरू हो सकी हूं। आप सबके लिए आज आप ही लोगों के बीच से कुछ लिंक्स चुनकर लायी हूं। देखिए, शायद आपको पसंद आएं!

बनूं तो क्या बनूं और आखिर क्यों बनूं? बनूं तो क्या बनूं और आखिर क्यों बनूं? बना इंसान तो नाहक मैं मारा जाऊंगा।


खूब धन देखिए कमा लाया साथ कितनी वो बद्दुआ लाया काफिले छूट ही गए पीछे कर्म तेरा वो जलजला लाया धूप का साथ काफ...


मर्द की हकीकत  ''प्रमोशन के लिए बीवी को करता था अफसरों को पेश .''समाचार पढ़ा ,पढ़ते ही दिल और दिमाग विषाद और क्रोध स...


PIC-GOOGLE पिछले महीने जावेद अख्तर जी  ने संसद के एक सत्र के दौरान एक मुद्दा उठाया था मातृत्व के सन्दर्भ में ...उनका एक प्रश्न सचमुच दि...


सारा मानवीय इतिहास त्रासदी और अत्याचार की कहानियों से भरा हुआ है। मानव के विकास के क्रम में जब पहली बार किसी मानव के हाथ में किसी प्रक...


मेरे हर प्रेम निवेदन के आक्रोश के संतोष के विक्षोभ के केंद्र में तुम रहते हो एक बिंदु की तरह तुम स्थिर रहते हो अपने स्थान पर और मैं भिन्न...


  --१-- धूप में चलते हुए, इस ख़ुश्क ज़मीन पर  क़दम ठिठके  ज़रा छाँव मिली लगा किसी दरख्त के नीचे आ पहुंची हूँ. ...


उत्तराखंड  की त्रासदी पर हे महादेव! ये तो हम सब जानते हैं , कि आप संहार के देवता है लेकिन हे केदार ! आप तो हैं बड़े उदार , आप तो भो...




(१) आहत खाकर बाण, मृत्यु शय्या पर लेटे, पूछ रहा है देश, कहाँ हैं मेरे बेटे। बचा रहे हैं प्राण, कहीं छुप के वारों से, या वो नीच कपूत, ग...


हकों की बात मत करना मोहब्बत की करो बातें हकों की बात मत करना , कटें खिदमत में दिन-रातें हकों की बात मत करना ! मुनासिब है रहो...
अब आज्ञा दीजिए!
नमस्कार!

1 comment:

  1. अच्छे लिन्क विन्दु जी बधाई

    ReplyDelete

केदार के मुहल्ले में स्थित केदारसभगार में केदार सम्मान

हमारी पीढ़ी में सबसे अधिक लम्बी कविताएँ सुधीर सक्सेना ने लिखीं - स्वप्निल श्रीवास्तव  सुधीर सक्सेना का गद्य-पद्य उनके अनुभव की व्यापकता को व्...