Sunday 8 September 2013

जय जय भारत: श्रद्धान्जलि

सादर अभिनन्दन सुहृद साहित्य प्रेमियों...
        मित्रों कहते हैं न कि अभिव्यक्ति पूर्णरूप से स्वतन्त्र होती है। लेकिन आप सहमत हैं इससे? भले ही स्वतन्त्र हो परन्तु सलमान रुश्दी, तसलीमा
नसरीन जैसे कई महान साहित्यकारों को प्रतिबन्ध की कठोरतम् बेड़ियों से लड़ना पड़ा, देश छोड़ना पड़ा, अज्ञातवास, भूमिगत रहना पड़ा...और भी न जाने क्या क्या! लेकिन लेखनी/अभिव्यक्ति में किंचित भी कमजोरी की झलक नहीं दिखाई पड़ी। दोस्तों कोई गुण, विशेषतय: साहित्यधर्मिता को कभी कोई भी परिस्थित पंगु नहीं बना सकती।
       ऐसी ही हमारे देश की प्रतिष्ठित लेखिका सुष्मिता बनर्जी, संघर्ष कभी जिनके पथ के रोड़े-नहीं बन पाए। सुष्मिता तालिबान मुक्ति के पश्चात लिखी गई पुस्तक 'काबुलीवालाज बंगाली वाइफ' बहुचर्चित रही। गत गुरुवार को उनकी अफगान में बहुत दर्दनाक ढंग से काल के गाल में ढूंस दिया गया। आज मैंनें उनकी ही याद में कुछ ऐसे ही साहित्य/साहित्यकारों को शामिल करने का प्रयास किया जिन्होंने विदेश में पैठ ही नही बनाई बल्कि सम्मान भी पाया। आशा है, आप उन्हें अपना स्नेह और शुभकामनाएं जरूर समर्पित करेंगे, जिससे हमारे आत्मीय साहित्यकार जहां भी रहें सकुशल रहें और विश्व में भारत की पताका फहर सके है-



 युवा कथाकार मनीषा कुलश्रेष्ठ से बातचीत 
---------------------------------------------------
 'कठपुतलियाँ' 'शालभंजिका' &...


: समय से बात   "निकट" ने 22 जून 2013 को अपने सात वर्ष पूरे किए.  
पत्रिका को बहुत स्नेह मिला.


भाषा समस्या/ गोविंद सिंह यह महज एक संयोग ही है
  एक तरफ सुप्रीम कोर्ट ने राजभाषा हिन्दी को लेकर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जबकि...

''सत्साहित्य सामने रखा हुआ महकता उद्यान है''

        मित्रों सुष्मिता जी स्वयं तो कांटों का सफर पूर्णकर हमारे बीचसे विदा हो गईं परन्तु महकता हुआ उद्यान हमारे मध्य छोड़ गईं। देश आपको सलाम करते हुए श्रद्धान्जलि अर्पित करताहै।
अब आज्ञा दीजिए- 
वंदेमातरम्

No comments:

Post a Comment

केदार के मुहल्ले में स्थित केदारसभगार में केदार सम्मान

हमारी पीढ़ी में सबसे अधिक लम्बी कविताएँ सुधीर सक्सेना ने लिखीं - स्वप्निल श्रीवास्तव  सुधीर सक्सेना का गद्य-पद्य उनके अनुभव की व्यापकता को व्...