दिन भर अपनी चमक से
कोना-कोना गरमाता
यह सूरज अब
धीरे-धीरे
अपनी गुफा की तरफ़ जाएगा
हौले से निकलता चाँद
फलक से
इस ढलती शाम पर
यह सूरज अब
धीरे-धीरे
अपनी गुफा की तरफ़ जाएगा
हौले से निकलता चाँद
फलक से
इस ढलती शाम पर
गहरा जाएगा
फिर से यादें तेरी
मुझे ले जाएँगी
ख़्वाबों के शहर में
और एक दिन का इन्तजार
फिर से एक उम्र में
ढल जाएगा !!
फिर से यादें तेरी
मुझे ले जाएँगी
ख़्वाबों के शहर में
और एक दिन का इन्तजार
फिर से एक उम्र में
ढल जाएगा !!
- ranju bhatia
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