Showing posts with label चन्द्र प्रकाश पाण्डेय. Show all posts
Showing posts with label चन्द्र प्रकाश पाण्डेय. Show all posts

Thursday 1 January 2015

नवगीत- चन्द्र प्रकाश पाण्डेय


फिर भटकती
चिट्ठियों से लौट आए दिन

आज यह उन्मुक्त
सा वातावण
छोड़ दो इस रात
झूठे आचरण
प्यार की इस 
घड़ी को
सिर झुकाए दिन

यह समय 
यह प्रणय यह निवेदन
कर अधर दृग
वय संधियों के क्षण
पंखुरी परसे
हवा से
महमहा दिन

तुम वलय सी
शिंञ्जिनी सी
बाहु लय में
एक संगति सुखद
सुंदर सुख
हृदय में
प्राण वंशी के
स्वरों में
गुनगुनाए दिन


केदार के मुहल्ले में स्थित केदारसभगार में केदार सम्मान

हमारी पीढ़ी में सबसे अधिक लम्बी कविताएँ सुधीर सक्सेना ने लिखीं - स्वप्निल श्रीवास्तव  सुधीर सक्सेना का गद्य-पद्य उनके अनुभव की व्यापकता को व्...